केला, Musa spp.

farbige Zeichnung von einem Büschel mit drei Bananen

वैश्विक क्षेत्रफल: 12.8 मिलियन हेक्टेयर, जिसमें से 54% खाना पकाने वाले केले
वेल्टेकर पर क्षेत्रफल: 16.2 वर्ग मीटर (0.8%)
उत्पत्ति का क्षेत्र: दक्षिण-पूर्वी एशिया
मुख्य खेती वाले देश: युगांडा, कांगो, भारत
उपयोग / मुख्य लाभ: पकाने के लिए, फल के रूप में खाने के लिए

केला वो फल है जिसे दुनिया भर में सबसे ज़्यादा ताज़ा हालत में बेचा और भेजा जाता है — हर साल इसका करीब 10 अरब अमेरिकी डॉलर का व्यापार होता है। ये फल ग्लोबल साउथ (जैसे अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और दक्षिण एशिया) के हज़ारों ग्रामीण परिवारों के लिए कमाई का एक अहम ज़रिया हैं। लेकिन आज केले की खेती में बहुत ज़्यादा रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है,
और किसानों को उनकी फसल की काफी कम कीमत मिलती है। इस वजह से खेती से जुड़े लोगों को पर्यावरण और समाज दोनों स्तर पर कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

एक बेरी जो ट्रॉपिक्स में उगती है

केला एक बहुवर्षीय, हरी-भरी जड़ी-बूटी जैसी पौध है, जो लगभग छह मीटर तक ऊँची हो सकती है। इसमें लकड़ी का तना नहीं होता — बल्कि इसके पत्तों की मोटी परतें आपस में लिपटकर एक नकली तना (pseudostem) बना देती हैं।
इसके बड़े और चमड़े जैसे पत्ते घुमावदार तरीके से उगते हैं, और फल एक बड़े गुच्छे की शक्ल में नीचे की तरफ लटकते हैं।
वनस्पति विज्ञान के अनुसार, केला असल में एक बेरी माना जाता है। केले का पौधा नमी और गर्मी वाले ट्रॉपिकल मौसम में अच्छी तरह बढ़ता है — जहाँ नियमित बारिश होती है। यह पौधा बहुत ज़्यादा फल देने वाला होता है। यह पौधा दो तरीकों से बढ़ता है —
या तो बीज से, या फिर मूल पौधे की जड़ों से निकले नए छोटे पौधों से, जो धीरे-धीरे खुद एक नया पौधा बन जाते हैं।

हालांकि दुनिया में 1000 से भी ज़्यादा रंग-बिरंगी केले की किस्में मौजूद हैं, फिर भी बाजारों में ज्यादातर “कैवेंडिश केला” ही दिखाई देता है — जो आज कई सुपरमार्केट में आमतौर पर मिलने वाला केला है। असल में, केले की दुनिया में रंगों, आकारों और स्वादों की जबरदस्त विविधता है — जैसे कि लाल, नीले या छोटे-छोटे मीठे केले। लेकिन यह विविधता अक्सर नज़रअंदाज़ कर दी जाती है,
क्योंकि अंतरराष्ट्रीय व्यापार लगभग पूरी तरह इसी एक किस्म (कैवेंडिश) पर टिका हुआ है।

केला – आहार का आधार और निर्यात फल

केला मूल रूप से दक्षिण-पूर्व एशिया से आया है, और 7,000 साल से भी पहले इसकी खेती शुरू हो चुकी थी। बाद में व्यापारियों ने इसे अफ्रीका और अमेरिका के ट्रॉपिकल इलाकों तक पहुँचाया। आज भारत दुनिया में सबसे ज़्यादा फलों वाले केले का उत्पादक है,
जबकि युगांडा और कांगो में सबसे ज़्यादा पकाने वाले केले (कच्चे उपयोग वाले) उगाए जाते हैं। पकाने वाले केले सब-सहारा अफ्रीका के कई देशों में एक बहुत ही अहम मुख्य भोजन हैं। हालांकि, निर्यात के मामले में लैटिन अमेरिकी देश — जैसे इक्वाडोर और ब्राज़ील — दुनिया के बाज़ार पर सबसे ज़्यादा हावी हैं। अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए केले की खेती अक्सर मोनोकल्चर (एक ही फसल की बड़े पैमाने पर खेती) में होती है, खासतौर पर बड़ी-बड़ी बागानों में, जो सिर्फ़ निर्यात के लिए बनाए जाते हैं। इसके साथ-साथ, केला ट्रॉपिकल देशों में स्थानीय लोगों के खाने का भी ज़रूरी हिस्सा है और कई घरों के बागानों में उगाया जाता है।